श्वेताश्वतर उपनिषद 4वें अध्याय के 19वें श्लोक

श्वेताश्वतर उपनिषद के 4वें अध्याय के 19वें श्लोक में कहा गया है: यः सर्वेषामात्मा स शिवो मे अस्तु सदाशिवो मे अस्तु सदाशिवो मे अस्तु । इसका अर्थ है: वह जो सभी आत्माओं का आत्मा है, वह मेरे लिए शिव हो, वह मेरे लिए सदाशिवो हो, वह मेरे लिए सदाशिवो हो. आगे पढ़े…

Brihadaranyaka Upanishad verses 1.3.1_to_1.3.4

बृहदारण्यक उपनिषद की गहन शिक्षाएँ

बृहदारण्यक उपनिषद सबसे महत्वपूर्ण उपनिषदों में से एक है इसमें वास्तविकता की प्रकृति, स्वयं और मुक्ति के मार्ग पर गहन शिक्षाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। बृहदारण्यक उपनिषद की कुछ सबसे महत्वपूर्ण शिक्षाओं में शामिल हैं:आत्मा और ब्रह्म की पहचान: उपनिषद सिखाता है कि व्यक्तिगत स्व (आत्मान) सार्वभौमिक स्व आगे पढ़े…

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