मूलाधार चक्र हिंदू तंत्र और योग में सात प्राथमिक चक्रों में से पहला है
यह अनुत्रिक के आधार में स्थित है, जो रीढ़ की हड्डी के निचले सिरे पर स्थित एक हड्डी है। मूलाधार चक्र को “मूल” या “मूल” के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह हमारे अस्तित्व की नींव है।
चक्र का प्रतीक चार पंखुड़ियों वाला कमल है, जो चार मूलभूत तत्वों: पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु का प्रतिनिधित्व करता है। इस चक्र का रंग गुलाबी या लाल होता है।
इस चक्र की देवी महाकाली हैं, जो शक्ति और रचनात्मकता की देवी हैं।
इस चक्र के साथ जुड़े गुण और भावनाएं निम्नलिखित हैं:
- गुण: सुरक्षा, स्थिरता, आधार, संतुलन
- भावनाएं: सुरक्षा, आत्मविश्वास, साहस, भरोसा
इस चक्र के जागृत होने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- शारीरिक लाभ: मजबूत इम्यूनिटी, ऊर्जा का स्तर बढ़ना, बेहतर पाचन, बेहतर नींद
- मानसिक लाभ: आत्मविश्वास में वृद्धि, तनाव कम होना, चिंता कम होना
- भावनात्मक लाभ: सुरक्षा की भावना बढ़ना, प्यार और आत्म-स्वीकृति बढ़ना
इस चक्र को जागृत करने के लिए कई तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ध्यान: ध्यान मूलाधार चक्र को जागृत करने का एक प्रभावी तरीका है। ध्यान के दौरान, आप अपने ध्यान को मूलाधार चक्र पर केंद्रित कर सकते हैं और इसे ऊर्जा से भर सकते हैं।
- योग: योग मूलाधार चक्र को जागृत करने का एक और प्रभावी तरीका है। मूलाधार चक्र से जुड़े कई योग आसन हैं, जैसे कि वज्रासन, मूलबंध और कपालभाती।
- मंत्र जाप: चक्र के लिए कई मंत्र हैं, जैसे कि “लं” और “ऊं”। मंत्र जाप मूलाधार चक्र को जागृत करने और उसे ऊर्जा से भरने में मदद कर सकता है।
इस चक्र एक महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे अस्तित्व की नींव है। इस चक्र को जागृत करने से हम अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।
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